कविता...



सारिका ठाकुर, शोधार्थी
विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, झारखण्ड

स्त्री...
घर के उस कोने में पांव मत रखना
वहां पड़ा होगा दर्द
पड़े होंगे अनगिनत किस्से
पड़ी होगी कुछ सिसकियां
पड़े होंगे जाने कितने ख्वाब
पड़ी होंगी धुंधली सी पहचान
जिसे ढ़ोते-ढ़ोते थक गयी है स्त्री
शायद इसलिए धूमिल सी है।

पैरहन...
खामोशियों के पैरहन से
अब कोई अछूता नहीं
बस रंग अनेक
कोई अतीत कीविडम्बनाओं से परिपूर्ण
किसी की व्यंजनाओं से भरपूर
कोई चोटों से अभिभूत
तो कोई खेलों से दिशाच्युत
कोई दंभ में चूर
कोई हंसने को मजबूर
किसी में दिखावे का गुरुर
तो कोई मिथ्याकथन को मगमूर
किसी में फैशन का शुरुर
तो किसी में रांझे का नूर
कोई आहत को मजबूर
कोई बेहिसाब ओढ़ेमोहब्बत का फितूर
है सब अपनों से दूर
फिर भी ढ़ोए अपने-अपने
पैरहन का गुरुर।

टिप्पणियाँ

  1. मन को छू लेने वाली पंक्तियां

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  2. एक नदी बह रही है कविता की, आप के अंदर......

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    1. जी अतुल जी,बहती तो हर व्यक्ति के अंतर्मन में हैं ,आवश्यकता उसे अभिव्यक्त करने की हैं!मेरा यह छोटा सा प्रयास हैं|🙏

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  3. वर्तमान समय की स्त्री दशा को दिशा और स्त्री मन को कविता में प्रस्तुत करने की अद्भुत कोशिश सारिका द्वारा l बहुत उम्दा और प्रासंगिक कविता l

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  4. बहुत ही उम्दा रचना की है आपने
    जिन्दगी के हकिकत को बड़े ही खूबसूरती से लिखा है आपने ।
    और नरी को खुद का निर्णय लेने को बहुत ही उम्दा कोसिश है आपकी

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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    1. आभार आपका...रचना को बारीकी से पढ़ने और प्रतिक्रिया देने हेतु🙏

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  6. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, स्त्री मर्म का बड़ा ही प्रासंगिक चित्रण। समसामयिक संदर्भों के साथ उपमान का सार्थक प्रयोग।

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  7. Bhohot khub Kavita he aapki aapke is Kavita se stri ko ek prerna milegi yaisehi Kavita likhiye

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  9. बहुत ही उम्दा रचना ।
    आप ने बहुत ही खुबसूरती से महिल को जागृति करने कोशिश की है ।।
    और दुनिवी रवैये से रू-ब-रू की है ।।

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    1. स्त्री के मन के भावो को अभिव्यक्त करने का प्रयास भी...😊🙏

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  10. स्त्री एवं पैरहण बहुत ही सुंदर कविताएं है। सार्थक एवं उत्कृष्ट प्रयास है। रचनाकर्म जारी रखें।

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  11. उत्तर
    1. मन से पढ़ी गयी चीजें अक्सर मन को भा जाती हैं!ह्रदय से आभार|😊

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  12. सारिका जी अति सुन्दर रचना रची है आप ने जारी

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  13. कविता में कवयित्री आत्मसंवेदित स्वर को उकेरा है।
    बधाई💐

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  14. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति वो भी कविता के रूप में! ऐसे ही प्रयास करते रहो।बहुत आगे तक जाओगी।हमारी तरफ से हार्दिक शुभ कामनाएं।

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  15. बहुत सुन्दर कविता है सारिका जी हृदय के तार को छूने वाली बहुत दिनों बाद पढ़ा मैंने

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