कविता.... चुप
पूर्णिमा पांडेय वर्चुअल क्लास शिक्षक , बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग , वर्चुअल क्लास स्टूडियो सिविक सेंटर , दस्तूरवाड़ी , दादर (पूर्व) मुंबई पुरस्कार- 1.महाराष्ट्र शासन द्वारा (आदर्श राज्य शिक्षक) पुरस्कार-2011 2.बृहन्मुंबई महानगरपालिका महापौर शिक्षक गौरव पुरस्कार-2008 3.कलागुरु पुरस्कार-2007 4.कृति संशोधन एवं नवोपक्रम शोध निबंध मुंबई जिला एवं महाराष्ट्र राज्य स्तर प्रथम पुरस्कार चुप .... देखते हम रहे मौन थे सब खड़े हाथ उनके जो तरुवर के तन पर पड़े उसकी आहें औ चीखें सुनी अनसुनी तुम भी चुप चल दिए हम भी चुप चल दिए । शूल सी हूक उठती हृदय में रही जब बिलखने लगी नन्हीं सी इक कली उसकी सिसकन और तड़पन सुनी-अनसुनी तुम भी चुप चल दिए हम भी चुप चल दिए । कूड़ा अपने घरों का नदी को दिया उसने अमृत दिया हमने विष भर दिया उसकी सिहरन और ठिठुरन सुनी अनसुनी तुम भी चुप चल दिए हम भी चुप चल दिए । इतने बरसों की प...
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